मानव का अध्यावरणी तंत्र
मानव के शरीर पर बाह्य आवरण के रूप में त्वचा
पायी जाती है I अध्यावरणी तंत्र त्वचा एवं त्वचा से व्युत्पित रचनाओं से मिलकर
बनता है I
त्वचा की औतिकी
मानव की त्वचा में दो प्रमुख स्तर होते है –
1.
अधिचर्म
1.
अधिचर्म
यह भ्रूणीय एक्टोडर्म से बनती है I इसमें रूधिर
वाहिनियाँ नहीं पायी जाती है I अधिचर्म की कोशिकाएं अनेक परतों की बनी होती है इसलिए
इसे स्तरित एपिथिलियम ऊतक कहते है I
भीतर से बाहर की ओर
अधिचर्म में क्रमशः पाँच स्तर पाए जाते है –
i.
अंकुरण स्तर या मैल्पीघी स्तर – यह अधिचर्म का सबसे भीतरी स्तर होता है जो
चर्म के ठीक बाहर स्थित होता है I इस स्तर की कोशिकाएं जीवित होती है I यह स्तर
स्तम्भाकार कोशिकाओं का बना होता है I इसकी कोशिकाएं सदैव विभाजित होती रहती है ओर
नई-नई पर्ते बनकर बाहर की ओर खिसकती है I इस स्तर पर रेटे पेग्स उभार पाए जाते है
I वर्णक कोशिकाएं इन कोशिकाओं के बीच में उपस्थित होती है तथा त्वचा को रंग प्रदान
करती है I इनमें मिलेनिन वर्णक भरा होता है I
ii.
शूल स्तर या स्पाईनोसम स्तर – ये
अंकुरण स्तर के बाहर कई कतारों में बहुकोणीय होती है तथा शाखित दिखाई देती है I इस
स्तर का कार्य अधिचर्म को दृढ़ता प्रदान करना है I
iii.
कणी स्तर या ग्रेन्युलोसम स्तर – शूल स्तर के बाहर की ओर 5-6 पर्तों की कोशिकाएं
ग्रेन्युलोसम स्तर बनाती है I इस स्तर की कोशिकाओं के कोशिकद्र्व्य में
केरेटोहाएलीन नामक प्रोटीन के सूक्ष्म कण भरे होते है I इसकी कोशिकाएं त्वचा को
जलरोधी बनाती है I
iv.
किण स्तर या कारनियम स्तर – यह अधिचर्म का सबसे बाहरी स्तर है जो चपटी एवं
पतली शल्काकार कोशिकाओं का बना होता है I इस स्तर की कोशिकाएं निर्जीव एवं चपटी तथा
पतली होती है, जो अंकुरण स्तर से लगातार वृद्धि के कारण ऊपर खिसकती है और त्वचा से
अलग होती रहती है I
श्रृंगीभवन – अधिचर्म की बाहरी कोशिकाओं में निर्जीव
किरेटीन बनने की क्रिया को किरेटीनाइजेशन या श्रृंगीभवन कहते है I मानव में इस
प्रक्रिया द्वारा सुरक्षा हेतु बाह्य कंकाल के विभिन्न अंग बनते है जैसे – बाल, नाखून
आदि I
2.
चर्म
यह अधिचर्म के नीचे स्थित होता है तथा अधिचर्म
से लगभग 2-3 गुना मोटा होता है I यह लोचदार एवं मजबूत भाग होता है I इस स्तर का
अधिकांश भाग तंतुमय संयोजी ऊतक का बना होता है I
चर्म को दो भागों में विभेदित किया जाता है –
a.
पेपिलरी स्तर – यह स्तर पतला होता है I इसमें पतले कालेजन तंतु, लचीले
तंतु तथा रूधिर वाहिनियों की अधिकता होती है I इसमें रसांकुर समान प्रवर्ध होते है
व अधिचर्म इसी पर टिकी होती है I
b.
जालिका स्तर – जालिका स्तर मोटा होता है तथा इसमें तंतु मोटे एवं दूर-दूर
तक फैले होते है I इस भाग में त्वक ग्रन्थियाँ, रोम पुटीकाएं, त्वक संवेदांग एवं
वसीय स्तर पाए जाते है I