Reproduction in Angiospermic Plants
Q.1 कौनसी कोशिकाएँ लघुबीजाणु मातृ कोशिकाओं का
निर्माण करती है ?
Ans. बीजाणुजन कोशिकाएं
Q.2 परागकणों की बाह्यचोल किस पदार्थ की बनी होती
है ?
Ans. स्पोरोपोलेनिन
Q.3 प्रोयुबिस काय कहाँ पाई जाती है ?
Ans. टेपीटम की कोशिकाओं में वसीय प्रकृति की गोलाकार संरचनाएं प्रोयुबिस
काय होती है I
Q.4 टेपीटम के कार्य लिखिए I
Ans. टेपीटम के कार्य निम्नलिखित है -
1. परागकणों के परिवर्धन में टेपीटम पोषण
प्रदान करने में सहायक है I
2. इनके जीवद्रव्य में कैलेज एंजाइम होता है जो
पराग चतुष्क के चारों ओर स्थित कोशिकाओं के मध्य में पाये जाने वाली कैलोज परत का अपघटन
करता है I
3. यूविष कोशिकाओं का निर्माण करना I
4. पोलनकिट्ट व ट्रीफाइन का निर्माण करना I
Q.5 पोलन किट से आप क्या समझते है ?
Ans. अनेक कीट परागित पुष्पों के परागकणों की सतह पर एक तैलीय परत पायी
जाती है जिसे पोलन किट कहते है I
Q.6 पोलन किट के कार्यों को लिखिए I
Ans. पोलन किट के कार्य निम्नलिखित है -
1. कीटो को आकर्षित करने में सहायक होते है I
2. इसका चिपचिपा स्वभाव परागकणों को कीटों के
शरीर से चिपकने में सहायक है I
3. यह परागकणों की पराबैंगनी किरणों से रक्षा
करता है I
Q.7 बीजाण्ड किसे कहते है ? इसके विभिन्न प्रकारों
का सचित्र वर्णन कीजिए I
Ans. बीजाण्ड :- अंडाशय के भीतर अनेक छोटी-छोटी या अंडाकार रचनाएँ होती है
जिन्हें बीजाण्ड कहते है I
परिपक्व बीजाण्ड को बीजाण्डद्वार, निभाग, बीजाण्डवृन्त
की पारस्परिक स्थिति के आधार पर छ: प्रकारों में बाँटा गया है -
1. ऋजु बीजाण्ड :- ऐसे बीजाण्ड सीधे होते है I
इस बीजाण्ड में बीजाण्डद्वार, निभाग एवं बीजाण्डवृन्त एक सीधी उदग्र रेखा में
स्थित होती है I यह सबसे आदिम एवं सरल बीजाण्ड है I पाईपरेसी, जिन्मोस्पर्म कुल के
पादपों में इस प्रकार का बीजाण्ड होता है I
2. प्रतीप बीजाण्ड :- इस प्रकार के बीजाण्ड में
बीजाण्डवृन्त पर बीजाण्ड का शरीर 180 डिग्री के कोण पर घूम जाता है I इसमें
बीजाण्डद्वार एवं निभाग पास-पास होते है I इसे उल्टे बीजाण्ड भी कहते है I 80-82%
आवृतबीजीयों में इसी प्रकार का बीजाण्ड होता है I
3. अर्धप्रतीप बीजाण्ड :- इसमें बीजाण्डद्वार
एवं निभाग एक क्षेतिज रेखा में व्यवस्थित होते है I यह प्रतीप बीजाण्ड और ऋजु
बीजाण्ड के बीच मध्यवर्ती बीजाण्ड है I बीजाण्डद्वार निभाग से दूर स्थित होता है I
उदा. रेननकुलस, प्रायमूला I
4. वक्र बीजाण्ड :- बीजाण्डद्वार नीचे की ओर
उन्मुख रहता है तथा बीजाण्डवृन्त के समान्तर होता है I उदा. चना, मटर, पालक आदि I
5. अनुप्रस्थ बीजाण्ड :- इस प्रकार के
बीजान्डों में वक्रता के कारण भ्रूणकोष मुड़कर घोड़े के नाल के आकार का हो जाता है एवं
बीजाण्डवृन्त एक अनुप्रस्थ रेखा में स्थित होते है I उदा. पौपी, मिराविलिस आदि I
6. कुंडलित बीजाण्ड :- इस प्रकार के बीजाण्ड
में बीजाण्डवृन्त अत्यधिक लम्बा होता है एवं बीजाण्ड को चारों ओर से घेरा रहता है I
बीजाण्डवृन्त की लम्बाई के कारण पहले बीजाण्ड 180 डिग्री के कोण पर एवं इसके बाद
360 डिग्री कोण पर घूम जाता है I बीजाण्डद्वार निभाग से दूर होता है I उदा.
केक्टेसी कुल के पादप I