Q.1 लैंगिक एवं अलैंगिक जनन में कोई दो अंतर लिखिए I
Ans. लैंगिक एवं अलैंगिक जनन में अंतर निम्नलिखित है -
लैंगिक जनन
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अलैंगिक जनन
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1. संतति उत्पत्ति के लिए दो जनको की आवश्यकता होती है I
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एकमात्र जनक से संतति उत्पन्न होती है I
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2. अर्धसूत्रण एवं युग्मक संलयन जैसी प्रक्रियाएं शामिल होती है I
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अर्धसूत्रण एवं युग्मक संलयन जैसी प्रक्रियाएं शामिल नहीं होती है
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Q.2 निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए -
खंड क
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खंड ख
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1. पोदीना
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a. जननांगों द्वारा कायिक प्रवर्धन
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2. शकरकंद
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b. पत्ती द्वारा कायिक प्रवर्धन
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3. ब्रायोफिल्लम
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c. जड़ द्वारा कायिक प्रवर्धन
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4. रामबांस
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d. तने द्वारा कायिक प्रवर्धन
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Ans. 1-d, 2-c, 3-b, 4-a
Q.3 चमेली एवं मोगरा में कायिक प्रवर्धन के लिए कौनसी विधि प्रयुक्त होती है ?
Ans. टीला दाब विधि
Q.4 प्रवर्धन को परिभाषित कीजिए I
Ans. किसी पौधे के कायिक भागों (जैसे पत्ती, तना, जड़ इत्यादि) से नए पौधे के निर्माण की प्रक्रिया कायिक प्रवर्धन कहलाता है I
Q.5 रोपण को समझाते हुए इसकी कलिका रोपण एवं जीभी रोपण विधि को समझाइएI
Ans. रोपण :- इस विधि में दो अलग-अलग पौधों के हिस्सों को इस प्रकार जोड़ते है की वे संयुक्त होकर एक नए पौधे के रूप में वृद्धि कर सके I अच्छी किस्म के पादप के उस हिस्से को जिसका रोपण किया जाता है कलम कहते है I दूसरा निम्न गुण वाला स्थानीय पादप जिस पर की कलम लगाईं जाती है और नए पौधे का आधार बनाएगा उसे स्कन्ध कहते है I कलम एवं स्कन्ध को कास कर बाँधते है ताकि दोनों की एधा संपर्क में रहे I कुछ समय के बाद दोनों एधाएं जुड़ जाती है एवं इनकी विभाजित होना प्रारंभ कर देती है I अब कलम एवं स्कन्ध दोनों के संवहन ऊतक आपस में सम्पर्क स्थापित कर लेते है I
जैसे - गुलाब, आम, अमरूद, सेब, नींबू आदि I
कलिका रोपण - इस विधि में एक कलिका का रोपण किया जाता है I स्कन्ध की छाल में T आकार का चीरा लगाकर उसमें कलम की कलिका को रोपित किया जाता है I इसके बाद इस स्थान को कस कर बाँध दिया जाता है I
जीभी रोपण :- इस प्रकार के रोपण में स्कन्ध एवं कलम समान मोटाई वाले स्तम्भ होते है I दोनों में 5-8सेमी. लम्बा चीरा लगया जाता है I उसके बाद स्कन्ध में V आकार का चीरा लगाते है I कलम को भी इस प्रकार का चीरा लगाते है ताकि वह स्कन्ध में फिट हो जाए I बाद में इन्हें कसकर बाँध दिया जाता है I
Q.6 आवृतबीजी में पुष्प के विभिन्न अंगों का वर्णन कीजिए I
Ans. पुष्प निम्नलिखित चार भागों या चक्रों से मिलकर बनता है :-
बाह्यदलपुंज :- यह पुष्प का सबसे बाहरी चक्र है जो बाह्यदलों से मिलकर बना होता है I
दलपुंज :- यह पुष्प का दूसरा चक्र है जो दलों से मिलकर बनता है I
पुमंग :- यह दलपुंज के अन्दर पुष्प का नर जनन अंग है I पुमंग की एक इकाई या सदस्य पुंकेसर होता है I
पुंकेसर परागकोष, पुतन्तु एवं योजी से मिलकर बनता है I
जायांग :- पुष्प में सबसे भीतरी चक्र जायांग होती है जो मादा जनन अंग होती है I यह स्वयं अंड़पों से मिलकर बनती है I
एक अंड़प अंडाशय, वर्तिका तथा वर्तिकाग्र से मिलकर बनती है I
सहायक चक्र ------ बाह्यदलपुंज व दलपुंज
जननशील अंग ----- पुमंग एवं जायांग