जल संसाधन
Water Resources
देश में बहुउद्देशीय जल परियोजनाओं को देश के प्रथम प्रधानमंत्री
पंडित जवाहर लाल नेहरू जी ने "आधुनिक भारत का मन्दिर” कहा था।
भारत में इन परियोजनाओं का संचालन राज्यों तथा केन्द्र
सरकार के माध्यम से किया जाता है।
1. केन्द्र सरकार के द्वारा महत्त्वपूर्ण योजनाओं
जैसे भाखड़ा नाँगल, रिहन्द, दामोदर, हीराकुण्ड, कोसी, टिहरी, परियोजना आदि का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
2. राज्य सरकारों के माध्यम से चम्बल परियोजना (मध्य
प्रदेश व राजस्थान), नागार्जुन सागर परियोजना,
(आन्ध्र प्रदेश), तुंगभद्रा परियोजना (आन्ध्र प्रदेश व कर्नाटक), सरदार सरोवर परियोजना (गुजरात, मध्य प्रदेश व राजस्थान), मयूराक्षी तथा फरक्का परियोजना (प.बंगाल),
माही परियोजना (गुजरात तथा राजस्थान), गण्डक परियोजना (बिहार तथा उत्तरप्रदेश),
मच्छकुण्ड परियोजना (आन्ध्र प्रदेश व उड़ीसा)
जैसी विभिन्न परियोजनाओं का
क्रियान्वयन किया जा रहा है।
भाखड़ा नाँगल परियोजना
1948 में आरम्भ होकर 1963 में पूर्ण हुई देश की सबसे बड़ी एवं महत्त्वपूर्ण परियोजना
जो सतलज नदी पर हिमाचल प्रदेश में बिलासपुर के निकट स्थापित है।
यह पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान की
संयुक्त परियोजना है।
उद्देश्य:- सतलज तथा यमुना के मध्यवर्ती भागों
में सिंचाई, विद्युत व पेयजल की आपूर्ति
के द्वारा आर्थिक विकास करना है।
परियोजना के कार्य:- इस योजना के तहत दो बांध पंजाब के अंबाला जिले में बनाए गए
है। पहला भाखड़ा जो कि सीमेण्ट तथा कंकरीट से निर्मित विश्व के सीधे खड़े बांधों
में यह सबसे बड़ा बांध है। दूसरा भाखड़ा बांध से नीचे नाँगल नामक स्थान पर बनाया गया है जो कि
भाखड़ा बांध के अतिरिक्त जल को संचित करने के उद्देश्य के लिए बनाया गया है।
लाभ:- इन बांधों से सिंचाई के
लिए भाखड़ा नहर, सरहिन्द नहर, नाँगल नहर, बिस्त दोआब नहर तथा नरवाना नहरें निकाली गईं तथा नांगल विद्युत
गृह व कोटला तथा गंगवाल में दो विधुत गृहों का निर्माण किया गया है।
दामोदर घाटी परियोजना -
यह पश्चिमी बंगाल व झारखण्ड की संयुक्त परियोजना है,
इसे पश्चिमी बंगाल में शोक कही जाने वाली दामोदर
नदी पर 1948 में आरम्भ किया गया।
भारत सरकार ने अमेरिका की टेनेसी (T.V.C) घाटी परियोजना निगम के प्रारूप के अनुसार भारत
में दामोदर घाटी (D.V.S) निगम की स्थापना की।
उद्देश्य:- इस परियोजना का उद्देश्य पं. बंगाल व झारखण्ड के नदी घाटी का आर्थिक विकास कर
स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में सुधार करना है।
परियोजना के कार्य:- इस योजना में, बाराकर नदी पर मेंथानं, बाल पहाड़ी व तिलैया बांध,
बोकारो नदी पर बोकारो बांध, कोनार नदी पर कोनार तथा दामोदर नदी पर अघर बांध,
बर्मो बांध, बाल पहाड़ी आठ बांध, एक दुर्गापुर अवरोधक बांध, बोकारो, चन्द्रपुर तथा दुर्गापुर
में तीन जल विद्युत गृहों का निर्माण, तथा 2500 किमी. नहरी प्रणाली का
विकास किया गया।
हीराकुण्ड परियोजना -
यह योजना उड़ीसा के शोक के नाम से प्रसिद्ध नदी महानदी
पर भारत सरकार के द्वारा उड़ीसा राज्य में स्थापित की गई।
उद्देश्य:- उड़ीसा तथा नदी घाटी क्षेत्रों में मानसून काल में बाढ़ की स्थिति को
नियंत्रित करने तथा शेष समय में सूखे तथा अकाल स्थिति उत्पन्न होने से रोकना।
परियोजना के कार्य:- भारत सरकार महानदी पर हीराकुण्ड बांध बनाया।
यह विश्व का सबसे लम्बा बांध है जिसकी लम्बाई 4801 मीटर है। इसके अलावा
तिकरपाडा व नराज में दो अन्य बांध बनाए गये हैं। इस योजना को दो चरणो में पूरा
किया गया है जिसमें प्रथम चरण में उड़ीसा के सम्भलपुर जिले में हीराकुण्ड बांध
बनाकर इससे नहर प्रणाली को विकसित किया गया तथा दूसरे चरण में चार विद्युत गृहों
का निर्माण किया गया।
राजस्थान में बहुउद्देश्यी जल परियोजनाएं –
चम्बल घाटी परियोजना –
यह राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना चम्बल नदी
पर 1953 में आरम्भ हुई ।
उद्देश्य:- चम्बल नदी के प्रवाह से भूमि अपरदन तथा बाढ़ के कारण तथा अन्य सम्बधित आपदाओ
से होने वाली हानि से बचाव के लिए
परियोजना के कार्य:- तीन चरणों में आरम्भ
की गई इस योजना के प्रथम चरण में मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले में गांधी सागर बांध
तथा नहरी प्रणाली का निर्माण किया गया, द्वितीय चरण में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में रावतभाटा नामक स्थान पर राणा
प्रताप सागर बांध तथा तीसरे चरण में कोटा बूंदी जिले की सीमा पर जवाहर सागर पिकअप
बांध तथा विद्युत गृहों का निर्माण किया गया।
राजस्थान नहर या इन्दिरा गांधी नहर परियोजना –
सतलज व रावी के संगम पर स्थित हरिके बेराज से इस नहर को निकाला गया है। यह नहर एशिया की
सबसे बड़ी मानव निर्मित नहर है जिसकी कुल लम्बाई 649 किमी. है।
उद्देश्य:- राजस्थान में थार मरूस्थल में पेयजल आपूर्ति, व्यर्थ भूमि के उपयोग तथा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर आबादी
बसाने के लिए।
परियोजना के कार्य:- इस नहर को दो चरणों में पूर्ण किया गया जो क्रमशः राजस्थान
फीडर तथा मुख्य नहर है। राजस्थान फीडर जो आरम्भिक स्थल से मसीतावली तक तथा मुख्य
नहर मसीतावली से मोहनगढ़ के अन्तिम बिन्दु तक का भाग है। इस नहर के द्वारा थार के
मरूस्थल में सिंचित क्षेत्र का विकास करने के उद्देश्य से विभिन्न शाखाएं तथा
लिफ्ट नहरें निकाली गयी हैं।
नोट:- ऊँचाई अधिक होने के कारण
जल को ऊपर उठा कर छोटी नहरों में डाला जाता है जिसे लिफ्ट नहर कहा जाता है।
माही बजाज सागर परियोजना –
राजस्थान एवं गुजरात की यह संयुक्त परियोजना विन्ध्याचल
पर्वत से निकलने वाली माही नदी पर 1971 में आरम्भ हुई।
उद्देश्य:- यह परियोजना इस नदी के प्रवाह मार्ग में डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा के
आदिवासी क्षेत्रों के आर्थिक विकास हेतु सिंचाई तथा विद्युत सुविधाओं के विकास
हेतु आरम्भ की गई।
परियोजना के कार्य:- इस योजना के अन्तर्गत राजस्थान के बांसवाड़ा के बोरखेड़ा
नामक स्थान पर माही बजाज सागर बांध बनाया गया तथा गुजरात में गुजरात सरकार की लागत
से कडाना बांध बनाया गया। नहरी प्रणाली को विकसित करने के उद्देश्य से मुख्य बांध नीचे
कागदी पिकअप बांध बनाया गया और विद्युत तंत्र के विकास हेतु मुख्य बांध पर दो
विद्युत गृहों का निर्माण किया गया।