Zener Diode, Photo Diode and Light Emitting Diode
विशिष्ट प्रयोजन डायोड (Special Purpose Diode)
P-N संधि डायोड के कई उपयोग हैं। किसी प्रयोजन विशेष के लिये काम में लिये जाने
वाले डायोड किसी अन्य प्रयोजन विशेष में काम आने वाले डायोड से कई बातों यथा
प्रयुक्त अर्धचालक,
इनमें अपमिश्रण की मात्रा एवं संरचना इत्यादि में भिन्न
होते हैं।
जैनर डायोड (Zener
Diode)
जब किसी डायोड़ की रचना किसी विशिष्ट भंजन वोल्टता के लिये इस प्रकार की जाती है कि उत्क्रम अभिनति
में भंजन वोल्टता पर भी यह बिना क्षतिग्रस्त हुये कार्य कर सके इस प्रकार के डायोड
को जेनर डायोड कहा जाता है। जेनर डायोड का प्रतीक चित्र नीचे में दिखाया गया है-
एक जेनर डायोड के उपयोग से शक्ति प्रदाय का निर्गत विभव नियत बनायें रखा जा
सकता है।
उपरोक्त चित्र
में एक दिष्ट
प्रदाय जिसका निर्गत विभव Vi माना है के निर्गम सिरों(output
terminals) पर एक प्रतिरोध Rs व एक जेनर डायोड लगे हैं तथा लोड प्रतिरोध RL, जेनर डायोड के
समान्तर क्रम में लगाया गया है। जेनर डायोड ऐसा चुना जाता है जिसकी भंजन वोल्टता Vz
उस नियत मान दिष्ट विभव के समान हो जिसे लोड प्रतिरोध RL पर प्राप्त करना है। जेनर डायोड को परिपथ में इस प्रकार लगाया जाता है कि यह
उत्क्रम अभिनत अवस्था में हो। यदि Vi
का मान Vz से अधिक हो जाये तो डायोड भंजन क्षेत्र में आ जाता है व इसके
सिरों पर विभव Vz ही बना रहता है। चूंकि RL डायोड के समान्तर क्रम में है इसलिये इस पर भी विभव Vz ही रहेगा। यदि RL
का मान परिवर्तित भी कर दिया जाये तो इस पर विभव Vz
ही रहेगा। इस प्रकार जेनर डायोड के दोनों सिरों पर निर्गत वोल्टता लगभग स्थायी
होती है। प्रतिरोध Rs का मान इस प्रकार चयनित करते हैं कि जेनर धारा इतनी अधिक न हो जाये कि इससे
तापीय ऊर्जा के कारण डायोड क्षतिग्रस्त हो जाये।
फोटो डायोड (Photo Diode)
उपयुक्त आवृति का प्रकाश (विद्युत चुम्बकीय विकिरण) किसी अर्धचालक पर आपतित होने
पर अर्धचालक की चालकता में वृद्धि होती है, इस वृद्धि को प्रकाशिक चालकता एवं इस
प्रभाव को प्रकाशिक चालकता प्रभाव कहते है I
फोटो डायोड ऐसे P-N
संधि डायोड है जिनका प्रचालन (operation) प्रकाश चालकता प्रभाव पर आधारित होता है। इस प्रकार के डायोडो
की रचना में P
या N
में से किसी एक क्षेत्र को अत्यधिक पतला रखा जाता है जिससे
कि आपतित प्रकाश अवशोषित होने पर फोटोन संधि स्थान तक पहुँच सके । सामान्यतः फोटो डायोड
उत्क्रम अभिनत व्यवस्था में रखे जाते हैं। फोटो डायोड का प्रतीक चित्र नीचे में दिखाया गया है-
आपतित प्रकाश की अनुपस्थिति में उत्क्रम बायस के कारण उत्क्रम धारा अत्यल्प
(कुछ माइक्रोएम्पियर)
होती है। आपतित प्रकाश की उपस्थित में फोटॉन संधि स्थल पर
अवशोषित होकर अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन होन-युग्म निर्मित करते हैं जो संधि पर उपस्थित
विद्युत क्षेत्र के कारण पृथक हो जाते हैं व संधि से होकर प्रवाहित होते हैं, इस कारण उत्क्रम संतृप्त धारा के मान में वृद्धि होती है। यह धारा प्रकाश की अनुपस्थिति में बहने वाली
धारा की तुलना में बहुत अधिक होती है । आपतित प्रकाश की आवृत्ति नियत रखते हुए यदि
प्रकाश की तीव्रता बढ़ायी जाये तो धारा का मान और बढ़ जाता है। विभिन्न तीव्रताओं के संगत उत्क्रम
धारा में परिवर्तनों का चित्र नीचे प्रदर्शित किया गया है।
फोटो डायोड का उपयोग निम्नलिखित युक्तियों में किया जाता है-
1. प्रकाश संसूचन में(Light
detection)
2. प्रकाश चलित स्विच (Light operated switch)
3. फिल्मों में ध्वनि पुनः उत्पादन (Reproduction of sound
in films)
4. कम्प्यूटर टेप कार्ड पढ़ने में (For reading
computer tapes and computer cards)
प्रकाश उत्सर्जक डायोड (Light Emitting Diode) LED -
ये ऐसे P-N संधि डायोड हैं जिन्हें अग्र अभिनत करने पर प्रकाश का
उत्सर्जन होता है। जब अर्धचालक के चालन बैंड में स्थित कोई इलेक्ट्रॉन इसके संयोजकता
बैण्ड में उपस्थित किसी होल पर संक्रमण करता है अर्थात् इलेक्ट्रॉन-होल का पुनः संयोजन(recombination)
होता है तो इस प्रक्रिया में ऊर्जा निर्मुक्त होती है।
सामान्यतः चालन बैंड के न्यूनतम ऊर्जा स्तर (Ec)
पर तथा होल संयोजी बैण्ड के उच्चतम ऊर्जा स्तर(Ev) के संगत होते
हैं अतः प्रक्रिया में मुक्त ऊर्जा Ec-Ev= Eg, अर्थात् बैण्ड अन्तराल की ऊर्जा के बराबर होती है। गैलियम
आर्सेनाइड फास्फाइड (GaAsP)
व गैलियम फास्फाइड (GaP) जैसे अर्धचालकों में यह ऊर्जा दृश्य प्रकाश के रूप में मुक्त होती है।
GaP जैसे अर्धचालकों से निर्मित P-N संधि में यदि संधि क्षेत्र के P व N
क्षेत्र दोनों में अपमिश्रण अधिक मात्रा में रखा जाये तो
अवक्षय क्षेत्र अत्यधिक पतला होगा। संधि को अग्र अभिनत करने पर P क्षेत्र के
बहुसंख्यक होल N क्षेत्र की ओर तथा N क्षेत्र से बहुसंख्यक इलेक्ट्रॉन P क्षेत्र की ओर गमन करेंगे तब अवक्षय परत के निकट बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉन
होल का पुनः संयोजन होगा,
परिणाम स्वरूप प्राप्त उत्सर्जित प्रकाश अपेक्षाकृत अच्छी
तीव्रता का होगा। प्रकाश उत्सर्जक डायोड का प्रतीक नीचे चित्र में दिखाया गया है-
LED के लिये अर्धचालक का चयन वांछित प्रकाश के रंग के अनुसार किया जाता है।
वर्तमान में लाल,
हरे,
पीले, नारंगी व नीले रंग
के प्रकाश उत्सर्जित करने वाले LED उपलब्ध हैं।
LED का उपयोग मुख्यतः निम्नलिखित कार्यों में किया जा रहा है-
1. सूचक लाइट (indicator light) के रूप में
2. सप्त खड प्रदर्शन इकाई (seven segment display unit)
के रूप में
3. उच्च तीव्रता के प्रकाश उत्पन्न करने वाले LED का प्रकाशिक तन्तु संचार (opitcal fibre
communication) में
4. कम शक्ति व्यय कर उच्च तीव्रता का प्रकाश देने वाले LED बल्ब