P-N Junction Diode : Forward Biasing And Reverse Biasing in Hindi


अर्धचालक डायोड (P-N संधि डायोड) P-N Junction Diode

P-N संधि को परिपथ में जोड़ने के लिए इसके P व N सिरों पर धात्विक इलेक्ट्रोड बनाये जाते है अत: इस युक्ति को डायोड कहा जाता हैI
डायोड शब्द di+electrode का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ दो इलेक्ट्रोड से है I
P-N संधि डायोड का सांकेतिक प्रदर्शन इस प्रकार दिया जाता है।
                                        Image result for pn junction diode symbol 
चित्र में बाणाग्र P-प्रकार अर्धचालक को प्रदर्शित करता है जबकि बार N-प्रकार अर्धचालक को प्रदर्शित करता है। बाण डायोड में से संवहन धारा की दिशा को भी प्रदर्शित करता है।

अग्रदिशिक अभिनति (Forward Biasing)-
जब किसी p-n सन्धि डायोड से इसके निरोधी विभव (Vb) से अधिक विधुत वाहक बल की बैटरी को इस प्रकार संयोजित किया जाता है कि बैटरी का धन टर्मिनल P-भाग से तथा बैटरी का ऋण टर्मिनल N-भाग से जोड़ा जाता है तो P-N संधि डायोड अग्र बायसित (Forward Biasing) कहलाता है।

अग्रदिशिक बायस में प्रभावी वोल्टता (Vb-V) होती है। जब अनुप्रयुक्त वोल्टता(बाह्य वोल्टता),रोधिका विभव से अधिक होती है तो अग्रदिशिक बायस के प्रतिकर्षण के कारण होल्स अवक्षय परत पार कर N-फलक की ओर एवं N-भाग से इलेक्ट्रॉन्स अवक्षय परत पार कर P-भाग की ओर पहुँचते है। यह प्रक्रम अल्पांश वाहक अंत: क्षेपण कहलाता है। संधि की सीमा पर हर फलक पर, संधि से दूर अवस्थित अल्पांश वाहकों की सांद्रता की तुलना में, अल्पांश वाहक सांद्रता में महत्वपूर्ण वृद्धि हो जाती है। इस सांद्रता प्रवणता के कारण होल्स N-फलक की संधि के किनारे से विसरित होकर N-फलक के दूसरे किनारे पर पहुँच जाते है। इसी प्रकार इलेक्ट्रोन्स P-फलक की संधि के किनारे से विसरित होकर P-फलक के दूसरे किनारे पर पहुँचते है। दोनों फलकों पर आवेश वाहकों की इस गति के कारण विधुत धारा प्रवाहित होने लगती है। कुल अग्रदिशिक डायोड धारा का मान होल विसरण धारा तथा इलेक्ट्रॉन विसरण के कारण पारंपरिक धारा का योग होता है।

नोट:- यदि अनुप्रयुक्त वोल्टता लघु है तो रोधिका विभव साम्य मान से केवल कुछ कम हो जाता है तथा केवल वे ही आवेश वाहक जो उच्चतम ऊर्जा स्तर पर होते है ,बहुत कम संख्या में संधि पार करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त कर पाते है अतः कम विधुत धारा प्रवाहित होती है। 
यदि हम अनुप्रयुक्त वोल्टता में काफी वृद्धि कर दे तो रोधिका ऊँचाई काफी घट जाती जाती है तथा अधिक संख्या में वाहकों को संधि पार करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्राप्त हो जाती है, इस प्रकार विधुत धारा वृद्धि हो जाती है।

पश्चदिशिक अभिनति (Reverse Biasing)-
जब किसी अर्धचालक डायोड के दो सिरों के बीच कोई बाह्य वोल्टता इस प्रकार अनुप्रयुक्त करते है की बैटरी के धन टर्मिनल को N- फलक से तथा ऋण टर्मिनल को P-फलक से जोड़ते है , तो डायोड को पश्चदिशिक बायसित कहते है।

पश्च बायस के दौरान प्रभावी वोल्टता (Vb+V) होती है। जब एक डायोड पश्चबायसित होता है तो पश्चबायस के आकर्षणके  होल्स एवं इलेक्ट्रॉन्स संधि से दूर गति करते है। अवक्षय परत की मोटाई बढती है। संधि में से कोई धारा का प्रवाह नहीं होता है। परंतु यदि हम पश्च वोल्टता को एक उच्च मान तक बढ़ाते है (भंजक वोल्टता तक) तब धारा तीव्रता से बढ़ती है। लेकिन उच्च तापन के कारण डायोड नष्ट हो सकता है।
जानु  वोल्टता :- बैटरी का वह विभव जिस पर अग्र धारा में तेजी से वृद्धि प्रारम्भ होती है, जानु वोल्टता कहलाती है।
जानु वोल्टता के उपरान्त, संधि डायोड एक चालक के समान व्यवहार करता है और सन्धि डायोड पर आरोपित विभव के साथ धारा में परिवर्तन लगभग रेखीय होता है।


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