Forward Bias Characteristics(अग्रअभिनति अभिलाक्षणिक)-
जब बैटरी वोल्टता शून्य होती है तब डायोड धारा का चालन नहीं करता तथा धारा का
मान शून्य होता है I जैसे ही बैटरी वोल्टता (V) के मान में वृद्धि है, निरोधी विभव
के मान में कमी होती है और एक अल्प मान ही धारा प्रवाहित होने लगती है I प्रारम्भ
में अग्र धारा में अल्प में वृद्धि होती है परन्तु जैसे ही बैटरी विभव (V) का मान
निरोधी विभव (Vb) से अधिक हो जाता है तब अग्र धारा के मान में तेजी से
वृद्धि होती है I बैटरी का विभव जिस पर अग्र धारा में तेजी से वृद्धि प्रारम्भ
होती है, ‘नी’ वोल्टता (Knee
Voltage) या ‘कट इन’ विभव कहा जाता है I
Reverse Bias Characteristics(उत्क्रम अभिनति अभिलाक्षणिक)-
जब P-N संधि उत्क्रम में बायसित होती है तो अल्पसंख्यक वाहकों के कारण अल्प
मान की धारा प्रवाहित होती है I यह धारा तुरंत ही अपना अधिकतम और संतृप्त मान
प्राप्त कर लेती है और यह आरोपित उत्क्रम विभव पर निर्भर नहीं करती है I
जैसे ही उत्क्रम विभव में एक निश्चित मान तक वृद्धि होती है (जेनर विभव या
भंजन विभव) तब अधिक संख्या में सहसंयोजक बन्ध टूट जाते है I इसके परिणामस्वरूप
अधिक संख्या में इलेक्ट्रान-होल युग्म उत्पन्न होते है जो संधि से होकर विसरित
होते है और इस प्रकार उत्क्रम धारा में तेजी से वृद्धि होती है I एक बार यदि भंजन वोल्टता
की स्थिति हो जाती है तब उच्च उत्क्रम धारा संधि डायोड को नष्ट कर सकती है I
नोट –
· अग्र अभिनति अवस्था में अधिक धारा (लगभग mA) में तथा
उत्क्रम अभिनति में नगण्य (माइक्रोएम्पियर अथवा नैनोएम्पियर कोटि की) धारा बहती है
I
· P-N संधि डायोड एकदिशिक युक्ति है अर्थात केवल एक दिशा में
धारा प्रवाह को अनुमत करती है I
· डायोड के अभिलाक्षणिक से यह प्रदर्शित होता है कि यह युक्ति
ओम के नियम का पालन नहीं करती है अत: अरेखीय युक्ति है I
यहाँ q=इलेक्ट्रान पर आवेश, k बोल्ट्जमान नियतांक, T संधि का ताप तथा V संधि
पर प्रयुक्त विभवान्तर है I Is संतृप्त धारा (saturation current) है I अग्रदिशिक अभिनति में V के धनात्मक
होने पर जब
तब-
तब-
तथा धारा विभव के साथ चरघातांकी रूप से बढ़ती है I
या उत्क्रम अभिनति में धारा लगभग नियत बनी रहती है I
डायोड प्रतिरोध(Diode Resistance)-
डायोड एक अरेखीय अथवा अन-ओमीय युक्ति है, यह ओम के नियम का पालन नहीं करती इस
कारण डायोड का प्रतिरोध नियत नहीं होता है इस प्रकार की युक्तियों के लिए गतिक
प्रतिरोध ज्ञात करना अधिक उपयोगी है I
अग्रगतिक प्रतिरोध सामान्यत: अल्प कुछ ओम कोटि (1 से 100 ओम) का होता है I
चूँकि उत्क्रम अभिनति अवस्था में (भंजन से पूर्व स्थिति में) उत्क्रम धारा
बहुत अल्प होती है I अत: उत्क्रम प्रतिरोध बहुत अल्प होता है I यह मेगा ओम कोटि का
होता है I