पादप-जल संबंध तथा पादपों में जल अवशोषण
CLASS XII/BIOLOGY
Q.1 जीवद्रव्यकुंचन को परिभाषित कीजिए।
Ans. जब कोशिका को अतिपरासरी विलयन में रखा जाता है तब कोशिका से पानी बाहर निकलने लगता है जिसके परिणाम स्वरूप कोशिका का कोशिकाद्रव्य सिकुड़कर कोशिका के केन्द्र में आ जाता है और रिक्तिका अदृश्य हो जाती है। इस प्रक्रिया को जीवद्रव्यकुंचन कहते है।
Q.2 स्फीति दाब (T.P.) को परिभाषित कीजिए।
Ans. कोशिकाभित्ति के विरुद्ध जीवद्रव्य द्वारा दाब डालने का प्रयास करना स्फीति दाब है।
Q.3 भित्ति दाब से आप क्या समझते है ?
Ans. कोशिका भित्ति स्फीति दाब के कारण तनाव में रहती है व विपरीत दिशा में (अर्थात बाहर से अंदर की ओर), अर्थात अभिकेन्द्री दिशा में स्फीति दाब के बराबर दाब लगाती है जिसे भित्ति दाब (WP) कहते है।
Q.4 विसरण दाब न्यूनता से आप क्या समझते है ?
Ans. विलेय मिलाये जाने पर शुद्ध विलायक (जल) की तुलना में विलयन के विसरण दाब में जितनी कमी आती है, उसे विसरण दाब न्यूनता कहते है।
Q.5 जल विभव को परिभाषित कीजिए।
Ans. यदि कोशिका को जल में रखा जाये तो शुद्ध जल के अणु तथा कोशिका के विलयन में उपस्थित जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा के बीच के अंतर को इस तंत्र का जल विभव कहते है। इसकी इसकी बार या वायुमंडल(atm) होती है।
Q.6 विसरण किसे कहते है ?
Ans. पदार्थ के अणुओं का अपनी गतिज ऊर्जा के कारण अधिक सांद्रता के क्षेत्र से कम सांद्रता के क्षेत्र की ओर गति करते है जिसे विसरण कहते है।
Q.7 विसरण की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौनसे है ?
Ans. विसरण की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक निम्नांकित है -
CLASS XII/BIOLOGY
Q.1 जीवद्रव्यकुंचन को परिभाषित कीजिए।
Ans. जब कोशिका को अतिपरासरी विलयन में रखा जाता है तब कोशिका से पानी बाहर निकलने लगता है जिसके परिणाम स्वरूप कोशिका का कोशिकाद्रव्य सिकुड़कर कोशिका के केन्द्र में आ जाता है और रिक्तिका अदृश्य हो जाती है। इस प्रक्रिया को जीवद्रव्यकुंचन कहते है।
Q.2 स्फीति दाब (T.P.) को परिभाषित कीजिए।
Ans. कोशिकाभित्ति के विरुद्ध जीवद्रव्य द्वारा दाब डालने का प्रयास करना स्फीति दाब है।
Q.3 भित्ति दाब से आप क्या समझते है ?
Ans. कोशिका भित्ति स्फीति दाब के कारण तनाव में रहती है व विपरीत दिशा में (अर्थात बाहर से अंदर की ओर), अर्थात अभिकेन्द्री दिशा में स्फीति दाब के बराबर दाब लगाती है जिसे भित्ति दाब (WP) कहते है।
Q.4 विसरण दाब न्यूनता से आप क्या समझते है ?
Ans. विलेय मिलाये जाने पर शुद्ध विलायक (जल) की तुलना में विलयन के विसरण दाब में जितनी कमी आती है, उसे विसरण दाब न्यूनता कहते है।
Q.5 जल विभव को परिभाषित कीजिए।
Ans. यदि कोशिका को जल में रखा जाये तो शुद्ध जल के अणु तथा कोशिका के विलयन में उपस्थित जल के अणुओं की मुक्त ऊर्जा के बीच के अंतर को इस तंत्र का जल विभव कहते है। इसकी इसकी बार या वायुमंडल(atm) होती है।
Q.6 विसरण किसे कहते है ?
Ans. पदार्थ के अणुओं का अपनी गतिज ऊर्जा के कारण अधिक सांद्रता के क्षेत्र से कम सांद्रता के क्षेत्र की ओर गति करते है जिसे विसरण कहते है।
Q.7 विसरण की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौनसे है ?
Ans. विसरण की क्रिया को प्रभावित करने वाले कारक निम्नांकित है -
- तापमान
- विसरित होने वाले पदार्थ का घनत्व
- विसरण दाब की प्रवणता
Ans. केशिका जल
Q.9 अंत:शोषण को परिभाषित कीजिए।
Ans. जलस्नेही कोलाइड पदार्थों द्वारा जल का अधिशोषण कर फूलने की क्रिया को अंत: शोषण कहते है।
Q.10 सक्रीय जल अवशोषण एवं निष्क्रिय जल अवशोषण को परिभाषित कीजिए।
Ans. निष्क्रिय जल अवशोषण :- जब जल अवशोषण के कारक पत्तियों में स्थित होते है और जड़ की कोशिकाएं केवल मार्ग का कार्य करती है तो इसे निष्क्रिय जल अवशोषण कहते है।
सक्रीय जल अवशोषण :- जब जल अवशोषण के कारक जड़ में ही उपस्थित होते है एवं जड़ की कोशिकाएं अवशोषण में सक्रीय भाग लेती है तो इसे सक्रीय जल अवशोषण कहते है।
Q.11 रसारोहण किसे कहते है ?
Ans. मृदा से जल मूलरोमों द्वारा अवशोषित होकर पौधों के शीर्ष तक व अन्य अंगों में तनु विलयन के रूप में पहुँचता है। जल के इस ऊपरीदिशिक स्थानान्तरण को रसारोहण कहते है।
Q.12 पौधों में सक्रीय जल अवशोषण की क्रियाविधि को समझाइए।
Ans. सक्रीय जल अवशोषण में मूलों की प्रमुख भूमिका होती है I इस अवशोषण के लिए मूलों के जाइलम में उपस्थित जल स्तंभ में धनात्मक बल उत्पन्न होता है , जिसे मूलदाब कहते है। इस प्रकार बल जैसे परासरण दाब के द्वारा मूले मृदा जल को बलपूर्वक भीतर खींचती है अर्थात अवशोषित करती है। सक्रीय जल अवशोषण करने के लिए ATP के रूप में ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो मूलों की श्वसनशील कोशिकाओं द्वारा प्रदान की जाती है। इस विधि द्वारा जल की अवशोषित मात्रा काफी कम अर्थात कुल अवशोषित जल की मात्रा की 2-4% होती है।
Q.13 पादपों में जल मार्ग के पथों का वर्णन कीजिए।
Ans. पादपों की जड़ों में जल गति तीन मार्गों द्वारा होती है
(a) एपोप्लास्ट मार्ग :- जल की एपोप्लास्ट गति हमेशा कोशिका भित्ति / अंतराकोशिकीय अवकाश द्वारा बिना किसी झिल्ली को पार किये होती है।
(b) सिमप्लास्ट मार्ग :- जल की सिमप्लास्टिक गति प्लाज्मोडेस्मेटा द्वारा एक कोशिका से दूसरी कोशिका में होती है।
(c) रसधानीय :- इस प्रकार के प्रवाह में जल एक कोशिका से दूसरी कोशिका में जीवद्रव्य कला के द्वारा प्रवेश करता है। इसके बाद टोनोप्लास्ट व रसधानी से जल गुजरता है।