Intrinsic Semiconductor in Hindi


Intrinsic Semiconductors (नैज़ अर्धचालक)
परिभाषा – ऐसे अर्धचालक जिनके क्रिस्टल में कोई अपद्रव्य (impurity) नहीं हो केवल उसी अर्धचालक के परमाणु हो नैज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductors) कहलाते है I

A. संयोजी बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर व्यवहार की व्याख्या –
सिलिकॉन या जर्मेनियम के किसी क्रिस्टल में किसी परमाणु के चारो संयोजी इलेक्ट्रानस चार निकटवर्ती परमाणुओं से साझित होकर चार सह्संयोजी बन्ध बनाते है I इस प्रकार परमशून्य ताप (0K) पर सभी संयोजकता इलेक्ट्रान. सह्संयोजी आबन्धों में परिबद्ध रहते है अत: विधुत चालन के लिए एक भी मुक्त इलेक्ट्रान उपलब्ध नहीं होता I इस कारण परम शून्य ताप पर नैज अर्धचालक (Intrinsic Semiconductors) कुचालक जैसा व्यवहार प्रदर्शित करते है I कमरे के ताप या इसके निकटवर्ती ताप पर क्रिस्टल में कुछ सहसंयोजक इलेक्ट्रान तापीय ऊर्जा ग्रहण कर अपने सह्संयोजी आबन्ध तोड़ कर मुक्त हो जाते है I सह्संयोजी आबन्ध में से एक इलेक्ट्रान के बाहर निकल जाने पर रिक्तता उत्पन्न हो जाती है I इस रिक्तता को होल या कोटर कहते है I
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किसी अर्धचालक में मुक्त इलेक्ट्रानस की गति मान होल्स की गति के बराबर परन्तु विपरीत दिशा में होता है I अत: किसी अर्धचालक में दो प्रकार के आवेश वाहक अर्थात मुक्त इलेक्ट्रान (-e) तथा होल (+e) होते है I
मुक्त इलेक्ट्रॉन्स के संख्या घनत्व n का मान होल्स के संख्या घनत्व p के समान होता है तथा इसे नैज वाहकों का संख्या घनत्व (ni) कहते है I
n=p= ni

B. ऊर्जा बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर व्यवहार की व्याख्या –
किसी अर्धचालक में संयोजी बैण्ड तथा चालन बैण्ड में वर्जित ऊर्जा अंतराल Eg=1eV कोटि का होता है I संयोजी बैण्ड इलेक्ट्रॉन्स द्वारा पूर्ण रूप से भरा होता है जबकि चालन बैण्ड रिक्त होता है I कमरे के ताप पर संयोजी बैण्ड के शीर्ष के इलेक्ट्रॉन्स तापीय ऊर्जा ग्रहण करके ऊर्जा अंतराल को पार करते है तथा चालन बैण्ड में पहुँच जाते है I चालन बैण्ड में पहुँचने वाले इलेक्ट्रॉन्स संयोजी बैण्ड में समान संख्या में होल्स उत्पन्न कर देते है I वे अर्धचालक जिनमें वर्जित ऊर्जा अन्तराल में केवल तापीय उत्तेजन के कारण धारा वाहक होल्स तथा इलेक्ट्रॉन्स उत्पन्न होते है, नैज अर्धचालक कहलाता है I
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जब किसी अर्धचालक को बैटरी से संयोजित किया जाता है तो अर्धचालक के सिरों पर विभवान्तर उत्पन्न होता है I इलेक्ट्रॉन्स बैटरी के धन टर्मिनल की ओर तथा होल्स ऋण टर्मिनल की ओर गति करते है I इस प्रकार विधुत धारा का प्रवाह आरम्भ होता है I

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